आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री रामकथा कहते हैं. प्रसिद्ध कथावाचक रामभद्राचार्य के प्रिय शिष्यों में शामिल धीरेंद्र कृष्ण, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर हैं. मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में बागेश्वर धाम स्थित है. उन्हें उनके अनुयायी बागेश्वर धाम सरकार भी कहते हैं. धीरेंद्र कृष्ण का चेहरा सौम्य है, उनकी भाषा तीखी है लेकिन उनके भक्त ऐसे हैं कि हर बात पर तालियों की बरसात करते हैं. उनके भक्त कहते हैं कि उनकी भाषा में ऐसा आकर्षण है कि लोग सबकुछ भूल जाते हैं. बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने जबसे नागपुर में कथा कही, तबसे हंगामा बरप गया है. उनके खिलाफ, उनके विरोधियों का गुस्सा फूट पड़ा है. उनके श्रद्धालु बागेश्वर धाम सरकार के खिलाफ कुछ भी सुनना नहीं चाहते हैं. वह अपने दरबार में लोगों की पर्ची निकालते हैं, लोगों की समस्याओं को हल करते हैं, भूत-प्रेत बाधा दूर करते हैं. देश छोड़िए, उनके प्रशंसकों की संख्या लंदन में भी हजारों में हैं. उनके हाल के दिनों में वह विवादों के केंद्र में हैं. हर कोई बागेश्वधाम का जिक्र कर रहा है. उनके वीडियो सोशल मीडिया पर लाखों में देखे जाते हैं. उनके बयान वायरल होते हैं. हर कोई जानना चाहता है कि जिस युवा संत के इतने श्रद्धालु हैं, उसके नाम पर हंगामा क्यों बरपा है. आइए जानते हैं, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हमेशा सुर्खियों में क्यों रहते हैं, उनके नाम पर हंगामा क्यों भड़का है, क्यों बागेश्वर धाम के नाम पर बवाल हो रहा है. आइए जानते हैं.
क्यों भड़का है बागेश्वर धाम के नाम पर हंगामा?
धीरेंद्र कृष्ण 5 जनवरी से 13 जनवरी तक भगवद कथा के लिए नागपुर में थे, लेकिन उन्होंने दो दिन पहले ही अपना कार्यक्रम खत्म कर दिया. नागपुर छोड़कर वह रायपुर चले गए थे. नागपुर में उन्हें तर्कवादियों ने एक सार्वजनिक मंच पर ‘चमत्कार’ करने की चुनौती दी थी. तर्कशास्त्रियों का कहना है कि धीरेंद्र शास्त्री को चुनौती मिली, इसलिए वह नागपुर छोड़कर चले गए. उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि उन्होंने अपने सभी कार्यक्रमों की तिथियों में कटौती की थी.
देखते-देखते लाखों में कैसे पहुंचे बागेश्वर धाम के श्रद्धालु?
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, खुलकर बोलते हैं. उनका बेबाक अंदाज श्रद्धालुओं को खूब लुभाता है. वह मंच से ही लोगों की अर्जी सुनते हैं, उनकी समस्याएं सुलझाते हैं. लोग नौकरी, व्यवसाय, बीमारियों से लेकर भूत-प्रेत बाधा तक की अर्जी लेकर बागेश्वर धाम के दरबार में पहुंचते हैं. वह मंच से चमत्कार करते हैं. कई साल पहले तक बागेश्वर धाम एक छोटा सा मंदिर था. यहां रोज धीरेंद्र कृष्ण कथा कहते थे. इसकी लोकप्रियता कथित तौर पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के चमत्कारों की वजह से बढ़ती गई. धीरेंद्र कृष्ण सार्वजनिक मंच से कहते हैं कि उन्हें संस्कृत नहीं आती. वह विद्वान नहीं हैं फिर भी राम कथा सुनने वालों की अपार भीड़ उनके दरबार में लगती है. उन्होंने बागेश्वर का हाल बदल दिया है. उकने भक्तों में मध्य प्रदेश की कैबिनेट से लेकर केंद्रीय मंत्री तक हैं. मनोज तिवारी और दिनेश लाल यादव जैसे सांसद उनके दरबार में पहुंचते हैं. आसपास के हालात इतने बदल गए हैं कि जिस गांव में कोई आता नहीं था, वहां बड़े-बड़े होटल खुल रहे हैं, सड़कें चौड़ी हो रही हैं. धीरेंद्र कृष्ण की वजह से वहां कई अप्रत्याशित बदलाव स्थानीय निकायों ने किए हैं.
धीरेंद्र कृष्ण के धाम में झुकी सरकार!
आम जनता ही नहीं, धीरेंद्र कृष्ण के भक्तों में मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, सांसद मनोज तिवारी, सांसद रवि किशन, सांसद दिनेश लाल यादव, मध्य प्रदेश के दर्जनों विधायक और कई बड़े नेता शामिल हैं. काशी से लेकर कनाडा तक, उनके भक्तों की कोई कमी नहीं है. लोग आते हैं, उनके दरबार में अर्जी लगाते हैं और धीरेंद्र कृष्ण कहते हैं चमत्कार होगा. इस रेस में सरकारों के प्रतिनिधि तक उनके आकर्षण से बाहर नहीं निकल पाते हैं.
हिंदुत्व के नए पोस्टर बॉय हैं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
धीरेंद्र शास्त्री हिंदुत्व के नए पोस्टर बॉय बन गए हैं. वह धर्मांतरण के खिलाफ जमकर बयान देते हैं. वह हिंदुत्व की वकालत करते हैं. वह यह भी कहते हैं कि हिंदुओं को अपनी आत्मरक्षा के लिए घरों में हथियार और बुलडोजर रखना चाहिए. वह धुर हिंदूवादी है. उनके बयान राजनीतिक नजर आते हैं. वह कहते हैं कि हर सनातनी को अपने धर्म की रक्षा करनी चाहिए. हिंदुत्ववादी संगठनों के अब धीरेंद्र कृष्ण दुलारे हो गए हैं.
क्या है धीरेंद्र कृष्ण की पारिवारिक पृष्ठभूमि, कैसे चर्चा में आया बागेश्वर धाम?
धीरेंद्र शास्त्री का घर गड़ागंज में है. उनके पिता का नाम रामकृपाल है. उनकी माता का नाम सरोज है. धीरेंद्र शास्त्री अपने दादा भगवान दास के करीब रहे. वे ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं. आर्थिक तंगी की वजह से वह पढ़ नहीं पाए. चित्रकूट के निर्मोही अखाड़े में उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई. वह रामभद्राचार्य के भी शिष्य बने. गड़ा गावं में जब भगवान दास गर्ग ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया, तभी साफ हो गया था कि इस धाम के पीठाधीश वही बनेंगे. मंदिर की जीर्णोद्धार 1986 में हुआ था. 1989 में उन्होंने एक महायज्ञ कराया. यह धाम 2012 के बाद प्रसिद्ध होने लगा. जब धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने तंत्र विद्या की शुरुआत की, तब से ही यह धाम चर्चा के केंद्र में आ गया.