आज से भारतीय नववर्ष का आरम्भ हो रहा है,काल गणना के लिए आज से विक्रम संवत 2081 का सभी
दैवीय कार्यों के शुरु करने से पहले संकल्प लेने के लिए
प्रयोग में लिया जायेगा,विक्रम संवत अंग्रेजी वर्ष से 57
वर्ष बड़ा है,यानी ईसाइयों के मसीहा ईसामसीह का जब
जन्म हुवा तो उज्जैन के चक्रवर्ती सम्राट का शासनकाल
पूरी दुनिया पर चल रहा था और विक्रम संवत आरम्भ
हुए 57 वर्ष बीत चुके थे!
महादेव के अतिप्रिय सम्राट विक्रमादित्य के पास तंत्र शास्त्र की हरसिद्धि थी प्राप्त थी उनके पास दो बेताल
भी थे जो जरूरत पड़ने पर उन्हे सशरीर स्वर्गलोक तक
भी ले जाते थे,महराज विक्रमादित्य की न्याय व्यवस्था
देवताओं को भी अतिप्रिय थी स्वर्ग के देवता महाराजा
विक्रमादित्य को अपने मध्य उपजे विवाद का निपटारा
करने को स्वर्गलोक बुलाते थे,स्वर्ग के देवताओं ने अवंतिका नगरी में आकर 32 परियों की देखरेख वाला
सिंहासन महराज विक्रमादित्य को भेंट किया था,इसी
पर बैठकर महराज सर्वोच्च न्याय करते थे जिससे स्वर्ग
के देवता भी सम्राट विक्रमादित्य की न्याय व्यवस्था
और राजव्यवस्था के कायल थे!
श्री महाकाल के अतिप्रिय होने और दैवीय पुरुष होने के
कारण सभी देवता महाराजा विक्रमादित्य के सामने
उपस्थित होते थे!
सम्राट विक्रमादित्य के बराबर आज तक कलयुग में ना
कोई सेना संगठन निर्मित कर पाया ना आने वाले कई
हजार वर्षों तक उनके बराबर कोई देश सेना रख पायेगा,
आज दुनिया के सभी देशों की सेना को मिला दिया जाये
तो सम्राट विक्रमादित्य के सेना की बराबरी नही हो पायेगी
सम्राट विक्रमादित्य जी की सेना 8 करोड़ से अधिक लोगों
के संगठन से बनी थी,आज आधुनिक काल में कोई
भी देश ना इतनी बड़ी सेना बना सकता है और ना ही उसे
वेतन दे सकता है!
भारतीय महाद्वीप् पर 100 वर्ष और दुनिया पर सम्राट
विक्रमादित्य ने 80 वर्ष तक राज किया,धर्म न्याय विश्व
विजय अभियान के साथ साथ सम्राट विक्रमादित्य ने
भारत को सोने की चिड़िया बनाया यहाँ पर स्वर्णकाल
ले आये थे! दुनिया में भारत का सबसे पुरातन वैदिक
सनातन धर्म को फैलाने वाले सम्राट विक्रमादित्य जी ही
थे,जिन्हे सनातन धर्म का सूर्य कहा जाता है!
# भरतीय नववर्ष विक्रम संवत्सर 2081
# चैत्र मास शुक्लपक्ष प्रतिप्रदा