लखनऊ : कहने को तो यह चारबाग दूध मंडी की सड़क है। जो मुसाफिरखाने से होते हुए टैक्सी स्टैंड तक जाती है। जब आप इस सड़क से गुजर रहे हो और नज़रे शर्मा जाएं तो समझ लेना यह मुसाफिरों को लुभाती चारबाग दूध मंडी की सड़क है। क्योंकि इस सड़क पर खानपान से लेकर स्टे करने के लिए तमाम होटल्स मुसाफिरों को अपनी ओर आकर्षित तो करते है। किंतु एक साल से खुदी पड़ी गड्ढों से लबरेज इस सड़क की ओर मुसाफिरों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है। इस सड़क की दुर्दशा देख इन होटलों में ठहरना भी पसंद नहीं करते जिस वजह से होटल्स का कारोबार काफी समय से प्रभावित हो रहा है। इस सड़क से गुजरते डगमगाते हुए वाहन डरे सहमे गुजरने को मजबूर है। इस सड़क के दोनों छोरो की टूटी नालियां 1947 की याद दिलाती है। यह सड़क सरकार की गड्ढा मुक्त नीतियों की दुहाई देते हुए खिल्ली उड़ा रही है। यहां के नेतागण जनता को मनलुभावने सपने दिखाकर वोट लेने के बाद अंतर्ध्यान हो गए। वो ढूंढे नहीं मिल रहे है। शायद महाकुंभ में डुबकी लगा रहे होंगे। जिम्मेदार अफसर फाइलों पर सड़के बनाकर सरकार से वाहवाही लूट रहे है। नेता जी और जिम्मेदारों को आइना दिखाती यह सड़क राजधानी का एक नायाब नमूना है।
